मलूकपीठाधीश्वर सदगुरुदेव श्री राजेंद्र दास जी महाराज की प्रेरणा से, “श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौ सेवा समिति” के द्वारा भारतीय वेद लक्षणा गौमाता की रक्षा के एक महाअभियान का प्रारम्भ, 13 मार्च 2018, पापमोचिनी एकादशी के पावन दिन से किया गया|
प्रारम्भ में गौसेवा के लिए, जन जन को गौमाता की सेवा का महत्व बताने के लिए, ग़ोविन्द की गैया परिवार के सदस्यों के द्वारा, घर घर जाकर गौमाता की सेवा के निमित्त “निःशुल्क और निःस्वार्थ भाव” से “हरिनाम कीर्तन” करने का विचार किया गया, ताकि जनमानस में गौमाता के प्रति श्रद्धा भाव उत्पन्न किया जा सके| और यही से धार्मिक नगरी जयपुर में “गोविन्द की गैया कीर्तनिया” के नाम से संकीर्तन की शुरुआत हुई | फिर तो हरिनाम की ऐसी गंगा बह निकली, जिसमे जयपुर के लगभग 1000 परिवारों में संकीर्तन करने का सुअवसर इस परिवार को प्राप्त हुआ| और आज भी निरंतर वो प्रवाह चल रहा है | आज जयपुर शहर में १००० से ज्यादा लोग इस परिवार से किसी न किसी रूप से जुड़ चुके है| टीम के द्वारा सोशल मीडिया पर (यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेस बुक) के माध्यम से भी जन जन तक पहुंचने का प्रयास चल रहा है|
इसी बीच 16 जून 2020 को सभी सदस्यों द्वारा समिति का गठन किया गया, जहाँ प्रारम्भ में ५०० रुपये सेवा भी प्राप्त करना मुश्किल था वहां आज महीने का लाखों रुपये से अधिक धनराशी गौसेवा के निमित एकत्र करने में ग़ोविन्द की गैया परिवार सफल हुआ | उससे आज सेकड़ो गौवंश की सेवा करने में यह परिवार सफल हो पा रहा है| साथ ही गौ गव्यो (दूध, दही, घी, गोबर, गौमूत्र) दैनिक जीवन में उपयोग से सेकड़ो लोग चमत्कारिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे है| प्रारम्भ से ही समिति का उद्देश्य अभावग्रत गौशालाओ में गौमाता की सेवा करने का था जो आज भी यथावत है, इसी उद्देश्य को लेकर समिति ने मकराना (जहाँ गौमाता पूर्ण उपेक्षित थी) में लगभग 50 लाख रुपये की लागत से लगभग 100 गौवंश के लिए गौशाला का निर्माण करवाया, जो जो कि वर्ष 2022 अप्रैल में बनकर तैयार हुई| इस प्रकार वर्तमान में जयपुर में दिल्ली रोड पर ढंड गांव व् मकराना में करीब 300 से अधिक गौवंश की सेवा की जा रही है|