श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौसेवा समिति का गोसेवा उद्देश्य
आदरणीय धर्मप्रेमी गोभक्त सज्जनों! सदियों से परम पवित्र गोवंश को सम्पूर्ण संरक्षण देने के लिए कई ऋषियों, महात्माओं तथा गोभक्तों ने आजीवन प्रयास किए। स्वाधीनता के पश्चात् भी गोहत्या बंदी के लिए विशाल प्रदर्शन किए, फिर भी आज तक गाय को सम्पूर्ण संरक्षण नहीं मिला। आज प्रतिदिन अनुमानित 50 हजार से ऊपर गोवंश की हत्या हो रही है।
इन सब आंदोलनों की पृष्ठभूमि से झांका जाए तो एक चित्र उभरेगा जिसमें तत्कालीन शासक प्रतिनिधियों द्वारा गोवंश संरक्षण के लक्ष्य हासिल करने का प्रयास नही हुआ। इन
सब आन्दोलनों की असफलता कई अनुत्तरित प्रश्न छोड देती है। जैसे-
- गोवंश भूखा क्यों रहता है?
- गोपालक की ऐसी कौनसी विवशता है, जिससे बाध्य होकर गोवंश को
निराश्रित छोड देते हैं? - समाज के अगवा व शासन के मुखिया इस महत्वपूर्ण प्रजाति को बचाने से क्यों कतराते हैं?
- लाखों की संख्या में आन्दोलनकारी होने के बावजूद आखिर वे लक्ष्य प्राप्ति में असफल क्यों हो जाते हें?
ये अनुत्तरित प्रश्न आज सम्पूर्ण गोवंश संरक्षण अभियान के समक्ष चुनौती हें। आप सबके सद्भाव से इस चुनौती को स्वीकार करने का साहस आदरणीय संतो की प्रेरणा से श्री
गोविन्द की गैया परिवार ने किया है। जिसकी पृष्ठभूमि इन प्रश्नों का उत्तर है। कोई भी शासक, प्रशासक, सरकार या राजा सम्पूर्ण गोवंश को नहीं पाल सकता है। गौ हत्या बंद करनी है तो घर-घर गाय, ग्राम- ग्राम गौशाला आश्रम की स्थापना करनी होगी। गोवंश के आध्यात्मिक तथा आर्थिक महत्व को सिद्ध करने के लिए प्रामाणिक शोध एवं अनुसंधान
करने होंगे।
पूरे देश में निष्ठावान गोभक्तों का सशक्त समूह तैयार किया जाय जो नारेबाजी, नाटकबाजी से सर्वथा परे यथार्थ रूप में गोवंश के संरक्षण का कार्य करें। कृषि प्रधान भारत में विष रहित सात्विक गोकृषिअन्न का उत्पादन बढ़ाना होगा। गोपालक किसानों को उनकी पैदावार का पूर्ण प्रतिफल देकर आर्थिक रूप से सम्पन्न बनाना होगा। पंचगव्य विनियोग पर युद्ध स्तर पर प्रयास करने होंगे। वेदलक्षणा गोवंश नस्ल सुधार हेतु संवर्धन का कार्य करना होगा। ये सारे प्रयास ही यथार्थ रूप से गाय की महत्ता को प्रतिपादित करेंगे। यदि इस कार्य को कर लिया जाए तो कोई भी गोपालक गोवंश को नहीं छोडेगा। कत्लखानों के लिए जब गोवंश उपलब्ध नहीं होगा तब गोहत्या स्वयं ही समाप्त हो जाएगी तथा राष्ट्र के विकास एवं उत्थान की प्रमुख बाधाएं, असाध्य रोग, बेरोजगारी, गरीबी तथा कुपोषण का उन्मूलन हो जायेगा।
श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौसेवा समिति का प्रमुख उद्देश्य यही है कि आर्थिक, शारीरिक, बौद्धिक एवं धार्मिक समृद्धि को आधार मानकर अखिल वेदलक्षणा गोवंश संरक्षण, सम्पोषण, संवर्धन एवं पंचगव्य विनियोग के माध्यम से गोपालक किसानों को गाय की उपादेयता एवं महत्ता से सप्रमाण अवगत कराना है, जिससे कृषि एवं कृषक दोनों ही सम्पुष्ट तथा स्वावलम्बी बन सके। ग्रामीण जनता को रोजगार प्राप्त हो, गोचरों, ओरणों, पर्वतों, वनों तथा जंगलों में वृक्षारोपण के साथ जल संग्रहित कर घास–चारा का उत्पादन भी बढाया जाये। गोवंश से प्राप्त पंचगव्य को परिष्कृत कर उनकी गुणवत्ता को बढ़ाया जाये, जिससे अधिकाधिक ग्राम स्वरोजगार का सृजन हो। गोगव्यों का विनियोग वैज्ञानिक प्रणाली से विधिवत् किया जाए। पंचगव्य औषधियों की उत्पादन मात्रा के साथ उनमें गुणवत्ता को भी बढ़ाया जायें। गोमय एवं गोमूत्र के प्रयोगों से कृषि भूमि की उर्वराशक्ति को सशक्त बनाकर विविध वानस्पतिक धरोहर एवं जेविक सम्पदा को संवर्धित किया जाये। इससे गोकृषि अन्न उत्पादन में मात्रात्मक, गुणात्मक वृद्धि तो होगी ही, साथ ही पर्यावरण शुद्धता एवं मानवीय स्वास्थ्य को भी अत्यधिक लाभ पहुचेगा।
वर्तमान समय में समाज, राष्ट्र तथा विश्व में विनाशकारी अवधारणाओं ने अपना अधिकार जमा रखा है। घणा, द्वेष, अहंकार, ईर्ष्या आदि से ग्रसित बलवान व्यक्ति समाज, राष्ट्र और निर्बलों को खा रहे हैं। अलगाववाद, नस्लवाद, क्षेत्रवाद, दलवाद तथा पंथवाद का जहर घोलकर विश्व मानवजाति को सर्वनाश के लिए पिलाया जा रहा है। सभ्यताओं में परस्पर घोर संघर्ष हो रहे हें, व्यक्ति में अत्यन्त स्वार्थपरता एवं भोग लोलुपता आ गयी है। आज का मानव अपनी कभी भी पूरी न होने वाली महत्वाकांक्षाओं से ग्रसित होकर निर्बल तथा असहाय प्राणियों के जीवनाधिकारों का क्रूरतापूर्वक हनन कर रहा हैं। मानवाकार दानवों ने गोमाता जैसे पवित्र प्राणी पर भी निर्ममता पूर्वक नष्ट करने का धावा बोल दिया है। प्रतिदिन हजारों गायों की हत्या की जा रही है, यह प्रवत्ति विनाशकारी है, जघन्य अपराध है। प्राकृतिक न्याय के विपरीत है और संपूर्ण ब्रह्मंड के लिए महान पीडादायक है। इस पीडा से पीडित संत हृदय से ही श्री गोविन्द की गैया परिवार का प्राकट्य हुआ है।
इस संस्था के गठन का उद्देश्य सर्वहितकारी भावनाओं से भावित है। यह संस्था किसी प्रकार की संकीर्णता, भेदभाव एवं स्वार्थिक संघर्षों की घोर विरोधी है। इसमें व्यक्तिवाद, पंथवाद, मजहबवाद, पार्टीावाद को भी स्थान नहीं है। यह संस्था सह अस्तित्व पर विश्वास करती है। दूसरों के हित में अपना हित होगा इस मौलिक सिद्धान्तों पर चलती है। इसकी कोई भी प्रव॒त्ति अथवा परामर्श व्यक्ति, समाज और देश को परस्पर जोड़ने का ही कार्य करते हैं। इस संस्था को वर्तमान की दूषित राजनैतिक दृष्टि से देखना भयंकर भूल के साथ महान अपराध भी है।
अत: मिथ्या धारणाओं का त्याग करके समाज एवं सरकार को इस संस्था की सर्वहितकारी प्रवृतियों में यथा सामर्थ्य सहयोग करते हुए समाज के भावों एवं शासन की नितियों को गोहित के अनुरूप बनाया जाय।
गोविन्द की गैया परिवार द्वारा किया जा रहे, घर–घर हरिनाम संकीर्तन के माध्यम से सनातन धर्म तथा हिन्दू संस्कृति से सम्बन्ध रखने वाली समस्त देवीय शक्तियां गोहितार्थ जगह– जगह पर एकत्रित हुई तथा एक स्वर में हजारो मन और मस्तिष्कों ने सम्पूर्ण गोवंश को संरक्षण प्रदान करने की प्रतिज्ञाएं की। उन दैवीय शक्तियों ने वसुन्धरा पर आधिपत्य जमा कर बैठे लोगों को चुनौतीपूर्वक चेतावनी भी दी है कि समष्टि प्रकृति एवं संपूर्ण पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करने वाली कामधेनु, कपिला तथा नंदिनी की संतानों के साथ अन्याय करना अब विश्वमानव तथा उनके कर्णधार बंद करें अन्यथा विश्व तथा विश्व के राष्ट्रों को महाविनाश से बचाना असंभव हो जायेगा
और मानवता कराह उठेगी।
विशेष रूप से भारत उपमहाद्वीप जो ब्रह्माण्ड की नाभि है, जहां से संपूर्ण विश्व ब्रह्माण्ड को पोषक ऊर्जा की प्राप्ति होती है, जो विश्व जीवनाधार है। ऐसी भारत माता की गोद में उनकी अधिष्ठात्री एवं चिन्मय स्वरुपा गोमाता का रक्त बहाना, उसको निर्ममतापूर्वक यातना देकर हत्या करना, अविलम्ब समाप्त किया जाये। अब भी इस जघन्य अपराध को भारत की भूमि से समूल नष्ट नहीं किया गया, तो याद रखो जिन ऋषियों का खून पृथ्वी में से सीता के रूप में प्रकट होकर उस समय की भोग संग्रह एवं पद प्रतिष्ठालोलुप विश्व सभ्यता के विनाश का कारण बना था, ठीक उसी तरह भारत की धर्मधरा पर गिरने वाला गोवंश का रक्त आज के भोग व संग्रह परायण अधिकार लोलुप एवं आसुरी सभ्यता को जड़ मूल से नाश करके ही रहेगा। इसमें कोई सन्देह नहीं है।
अत: भारत माता के कोख से जन्म लेने वाले प्रत्यक भारतीय चाहे श्रमजीवी, बुद्धिजीवी व अर्थजीवी हो अथवा सम्प्रदाय, समाज, पंथ, दल या राष्ट्र के अगुवा हो, उन सबको भारत माता सहित सभी को जन्म देने वाली गोमाता तथा उनके वंश की रक्षा में ही आपकी अपनी रक्षा समाहित है, ऐसा अच्छी तरह से विचारपूर्वक समझ लेना चाहिए तथा उनके संरक्षण, पालन एवं संवर्धन में प्राथमिकता पूर्वक संपूर्ण शक्ति लगाने में अब विलम्ब नहीं करना चाहिए। रचयिता की सृष्टि में मूक, असहाय एवं निर्बल प्राणियों का निर्ममतापूर्वक विनाश का ताण्डव करने वाले मानवाकार दानवों को निगलने के लिए महाकाल ने अपना मुख फैला दिया है। इस महाकाल के विकराल जबडों में मानवाकार दानव जो विश्व वसुधरा पर आधिपत्य जमा कर उसे आज तक विकृत करता रहा है, अब नहीं बच सकता। उसका समूल नाश होकर ही रहेगा।
इसलिए सज्जनों सावधान हो जाओ और मूक, असहाय एवं निर्बलों का प्रतिनिधित्व करते हुए अखिल ब्रह्मांड की पालक–पोषक तथा मानव जाति सहित जीव जगत को जीवनी शक्ति का दान करने वाली वेदलक्षणा गोमाता की शरण होकर आज तक किए गए अपराध के लिए आर्तभाव से क्षमा मांगो। यह जगद्अधिष्ठात्री, विश्व जननी–भगवती पराम्बा– गोमाता करुणा, दया, अहिंसा, क्षमा एवं वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है और अभयदान देने में समर्थ है। श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौसेवा समिति द्वारा वेदलक्षणा गोहितार्थ सम्पादित विविध आध्यात्मिक अनुष्ठानों में एकत्रित भगवद् ऊर्जा, ऋषि ऊर्जा, देवीय ऊर्जा एवं मानवता की ऊर्जा से मिश्रित प्रतिज्ञा के अनुरूप ही आदरणीय संतो की प्रेरणा से ही राष्ट्रव्यापी रचनात्मक गोरक्षा महाभियान प्रारम्भ हुआ। परिणाम स्वरूप क्रूर कसाइयों के खंजर तथा दुष्ट दुष्काल के जबडों से गोवश की प्राण रक्षा संभव हो सकी।
श्री गोविन्द की गैया परिवार के राष्ट्रव्यापी रचनात्मक गोसेवा महाभियान को शान्तिपूर्ण तरीके से सफल बनाने के लिए ऐसे समर्पित अनुशासित एवं कर्मशील गोभक्त कार्यकर्त्ता तैयार किये जा रहे हैं, जिनके द्वारा धेनु संरक्षण, धरती सम्पोषण, प्रकृति परिष्करण, पर्यावरण परिशोधन तथा सनातन संस्कृति समाराधना पूर्वक वेदलक्षणा गोमाता के माध्यम से मानवजाति सहित सम्पूर्ण जीव जगत के वर्तमान दुःख शमन पूर्वक सुखद भविष्य निर्माण का सम्पूर्ण प्रयास किया जायेगा।
अत: आप सभी गौभक्त धर्मात्मा सज्जन तन–मन से इस परमार्थ कार्य के महत्वपूर्ण अभियान में सजग सहयोगी बनकर मानव जीवन को सफल बनायें।
श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौसेवा समिति का गठन
श्री गोविन्द की गैया परिवार द्वारा निराश्चित, असहाय, उपेक्षित, तिरस्कृत, दुर्घटनाग्रस्त, असाध्य रोगों से ग्रस्त एवं क्रूर कसाइयों से मुक्त कराये हुए गोवंश के आश्रय, आहार, चिकित्सा व सरक्षण हेतु प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित व संचालित गोसेवाश्रमों एवं अन्य परमार्थिक प्रकल्पों के सुचारू व सुव्यवस्थित रुप से प्रबन्धन व संचालन करने में मार्गदर्शन तथा सहयोग करने के लिए परमाराध्य सद्गुरुदेव एवं आदिशक्ति सुरभि गोमाता की पावन प्रेरणा से गोविन्द की गैया परिवार आषाढ़ कृष्ण पक्ष दशमी विक्रम संवत् 2077 तदनुसार 16 जून 2020 को श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौसेवा समिति का विधिवत गठन किया गया है। लोकपुण्यार्थ समिति के रचनात्मक गोसेवा अभियान के अनुरूप दीर्घकालीन लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए गोसेवा परायण धर्मात्मा गौभक्त सज्जनों को इस समिति के आजीवन सदस्य व कार्यकर्ता सदस्य बनाये जा रहे हैं, जो समिति के मार्गदर्शन व सहयोग से संचालित गोसेवाश्रमों एवं अन्य बहुद्देशीय गोसेवा प्रकल्पों के निर्देशन, संचालन एवं प्रबंधन करने में समिति के नियमों व सिद्धान्तों के अनुरुप निर्णयात्मक भूमिका का निर्वहन करेंगे।
श्री गोविन्द की गैया गौसेवा समिति प्रायोजित गोसेवा महाभियान में श्रद्धापूर्वक सक्रिय रहने वाले गौभक्त सज्जनों से आग्रहपूर्वक निवेदन है कि वेदलक्षणा अखिल गोवंश के संरक्षण, सम्पोषण, संवर्धन एवं पंचगव्य का विधिपूर्वक विनियोग कर गोपालन लोकसंस्कृति की पुनर्स्थापना के रचनात्मक गोसेवा महाभियान को राष्ट्रव्यापी, सर्वग्राही बनाने एवं इसमें जन-जन को जोड़ने के लिए धर्मात्मा गोसेवाप्रेमी सज्जनों को अधिकाधिक संख्या में आजीवन एवं कार्यकर्त्ता गोव्रती सदस्य बनाकर गोसेवा के विराट संकल्प को साकार करने के लिए अपने समय, समझ एवं प्रभाव की आहति प्रदान करते हुए इस सर्वकल्याणकारी क्रान्ति के इतिहास में अपना स्थान सुनिश्चित कर मानव जन्म को सफल बनायें।
आप सभी गोसेवाप्रेमियों को अवगत करवाते हुए अत्यन्त प्रसन्नता हो रही है कि पूज्य प्रधान संरक्षकजी एवं गौरवाध्यक्षजी की प्रेरणा से सर्वसाधारण जन को गोग्रास प्रदान करने के पुण्यार्जन के लिए नियमित गोग्रास अर्पण हेतु श्री गोविन्द की गैया सेवार्थ गौसेवा समिति द्वारा “ई.सी.एस. गोग्रास योजना” प्रारम्भ की गयी हैं। सभी आजीवन न्यासी एवं कार्यकर्त्ता सदस्य एक अथवा एक से अधिक गोमाता को दत्तक लेकर “ई.सी.एस. गोग्रास योजना” के माध्यम से नियमित गोग्रास अर्पण का संकल्प स्वयं करें और अन्य गोसेवाप्रेमी परिवारों तथा समाजों को गोव्रति एवं नियमित गोग्रास प्रदाता सदस्य बनने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित करें, क्योंकि गोव्रत धारण करने से सम्पूर्ण आरोग्य तथा क्षुधातुर गोमाता को गोग्रास अर्पण करने से अक्षय समृद्धि की प्राप्ति होगी। स्वस्थ व समृद्ध व्यक्ति आत्म कल्याण, जगत की सेवा और परमात्मा के पवित्र प्रेम की अनुभूति कर क॒तकृत्य, ज्ञात ज्ञातव्य एवं प्राप्त प्राप्तव्य हो जाता है।
Objective of Shri Govind ki Gaiya Sewarth Gau Seva Samiti
For centuries, many sages and cow devotees made lifetime efforts to give complete protection to the most sacred bhartiya ved lakshna cows. Even after independence huge demonstrations were held to ban cow slaughter, yet till date the cow has not got complete protection. Today, more than 50 thousand cattle are being killed every day. If taken a glanced at it more deeply, a picture would emerge in which no attempt was made by the then ruling representatives to achieve the goal of cow protection.
The failure of all these movements leaves many unanswered questions. Like-
- Why does the cattle remain hungry?
- What is the compulsion of the cowherd, due to which the cow progeny is bound leave destitute?
- Why do the abductors of the society and the heads of the government shy away from saving this important species?
- Despite having lakhs of agitators Why do they fail to achieve their goals?
These unanswered questions are the challenge before the entire cow protection campaign today.
Shri Govind Ki Gaiya Sewarth Gau Sewa Samiti has taken this challenge by the inspiration and guidance of our esteemed sages, gurudev bhagwan and devotees. With the aim to answer these questions and remind indians of our original culture and heritage and of our pious gau mata (indian ved lakshna cow).
No ruler, administrator, government or king can take care of the entire cow lineage. In order to stop cows from being slaughtered value of cow will have to be established in each house, village, locality and on a personal level. Not only this, promoting inculcating old indian values where each house used to have a cow, and establishing gaushalas from village to village in each locality where the locals take the responsibility is one solution to the problem of cow cruelty that has been seen nowadays.